Anjaan Katil - 1 in Hindi Detective stories by V Dhruva books and stories PDF | अनजान कातिल - 1

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अनजान कातिल - 1

सभी पाठको को प्यारभरा नमस्कार🙏। काफी समय हो गया कुछ लिखे हुए। आज पहली बार एक सस्पेंस स्टोरी लिख रही हुं। कोई आइडिया नही सस्पेंस स्टोरी कैसे लिखूं? लिखावट मे अगर किसी भी जगह कोई त्रुटि लगे तो तुरंत मुजे बताएंगा। और अपने अमूल्य प्रतिभाव जरुर दीजिएगा। इस कहानी का जीवित या मृत व्यक्ति से कोई वास्ता नहीं है। इसे बस मनोरंजन के रूप में ही पढ़े।

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करीब सात बज रहे थे। होटल में चारो तरफ अफरातफरी मची हुई थी। होटेल में आए हुए लोगो को एकतरफ बिठाकर मेईन गेट बंद करवा दिया गया था।

होटल में पार्टी चल रही थी। डीजे के साथ कुछ लोग मस्ती में नाच रहे थे तो कुछ डिनर टेबल पर डिनर कर रहे थे। तभी अचानक गोली चलने की आवाज़ आई। डीजे वाले ने तुरंत अपना म्यूज़िक बंद कर दिया। सब आसपास देखने लगे, लड़कियां चीखने चिल्लाने लगी। सब देखने लगे कि गोली चलने की आवाज़ आई कहां से? तभी एक चीख सुनाई दी।


वह चीख उस लड़की कि थी, जिसके पास बैठे लड़के को गोली लगी थी। उन दोनों की अभी कुछ दिनों पहले ही मंगनी हुई थी। और आज अपने दोस्तो के साथ पार्टी करने इस होटल में आए थे।

होटल का मैनेजर चीखने चिल्लाने की आवाज़ सुनकर भागता हुआ वहां आ गया था। मैनेजर ने तुरंत उस लड़के के पास जाकर उसकी नाक के पास उंगली रखी और ना मे सर हिला दिया। पास बैठी लड़की यह देख फुटफुटकर रोने लगी। मैनेजर ने तुरंत पुलिस को फ़ोन कर दिया। साथ साथ 108 पर फ़ोन करके एम्ब्युलेंस को भी बुला लिया।

कुछ पंद्रह मिनट में ही पुलिसवाले और एम्ब्युलेंस एकसाथ आ गए। यह वारदात मुंबई शहर में विले पार्ले ईस्ट मे हुई थी। होटल की जगह डोमेस्टिक एयरपोर्ट से नज़दीक थी। होटल उस एरिया में फैमस थी तो मीडियावाले भी आना शुरू हो गए।

विले पार्ले थाने के इंचार्ज इंस्पेक्टर मिश्रा, फोरेंसिक डिपार्मेंट के डॉक्टर त्रिपाठी के साथ उस लड़के के पास आ पहुंचे जिसे गोली लगी थी। डॉक्टर ने उस लड़के की नब्ज़ चेककर के इंस्पेक्टर को बताया कि यह मर चुका है। गोली सीधे दिल पर लगी है। गोली लगने से तुरंत ही मौत हो गई है। डॉग स्क्वायड की टीम भी आ गई थी। पर इतनी भीड़ के कारण वह सुराग नहीं दे पाया। सिर्फ पार्टी हॉल के दरवाजे तक ही जा पाया था। डॉक्टर त्रिपाठी के साथ आई हुई फोरेंसिक टीम ने आकर गन पाउडर कहा मिलता है वह चेक करने लगी, साथ ही साथ वहा खड़े लोगो के फिंगरप्रिंट्स भी ले लिए गए। फोरेंसिक टीम ने हॉल मे हर जगह से फिंगरप्रिंट्स ले लिए और इंस्पेक्टर को कहा रिपोर्ट कल तक मिल जाएगी।

उनके जाने के बाद इंस्पेक्टर मिश्रा उस लड़की के पास गए जो अब तक रो रही थी। उस लड़की का नाम माही था।
इंस्पेक्टर ने माही से पूछा- मरने वाले आपके क्या लगते थे?
माही ने कहा- ये मेरे मंगेतर थे, यज्ञेश केलकर। हम लोग यहां दोस्तो के साथ पार्टी करने आए थे। और ये सब... ( वह फुट फुटकर रोने लगी। साथ आए फ्रेंड्स उसे संभाल रहे थे।)
इंस्पेक्टर मिश्रा कॉन्स्टेबल से पूछते है - तावड़े, इनके घरवालों को फोन कर दिया?
कॉन्स्टेबल तावड़े- जी सर! लड़के के दोस्त ने उसके पापा को फोन कर दिया है। यही कही पास के एरिया में ही रहते है, आते ही होगे।
इंस्पेक्टर मिश्रााने माही से पूछा- क्या आपको पता है कि आपके फियान्स की किसी से दुश्मनी रही हो?
माही रोते हुए कहती है- नहीं सर! वे तो बहुत ही अच्छे इंसान थे। सब के साथ मिलजुल कर रहते थे। हमारी सगाई को अभी कुछ दिन ही हुए थे। पता नही किसकी नजर लग गई?
बाकी दोस्तो ने भी यही जवाब दिया।

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जब यज्ञेश के मम्मी पापा आए तो यज्ञेश को देखकर रोने लगे। उसकी मम्मी रोते रोते बेहोश हो गई। वह पहले से ही दिल की मरीज थी तो उन्हे तुरंत अस्पताल भेज दिया गया।
इंस्पेक्टर ने यज्ञेश के पापा से पूछा- मि. केलकर क्या यज्ञेश का कोई दुश्मन था? आपको किसी पे शक है?
यज्ञेश के पापा ने रोते हुए बताया- हमारी किसी से कोई दुश्मनी नहीं है। मै एक व्यापारी हुं सर। ड्रायफ्रूट्स का बिज़नेस करते है। हमारी किसी से क्या दुश्मनी?
इंस्पेक्टर मिश्रा- आप सभी याद करके बताइए की कभी भी किसी के साथ यज्ञेश की लड़ाई हुई हो या कोई पुराना दुश्मन?
यज्ञेश का एक दोस्त जो बचपन से उसके साथ था वह बताता है- नहीं सर! यज्ञेश कभी किसी से ऊंची आवाज़ में बात तक नहीं करता था। सभी से प्रेम भाव से रहता था। और आज हम ही उसे और माही भाभी को यहां लेकर आए थे। पता नहीं ये क्या हो गया?
उस लडके की आंखो से आंसू निकलने लगे।

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यज्ञेश की लाश को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया जाता है। इंस्पेक्टर मिश्रा तावड़े से कहते है- होटल के सभी सीसीटीवी फुटेज को एकबार देख लो। फिर उन सभी के डेटा मंगवा लो थाने पर, वही डिटेल में फिर से देखेंगे।
तावड़े- जी साहेब! अभी देख लेता हुं। और आपसे एक बात कहनी थी साहेब।
इं. मिश्रा- हा बोलो।
तावड़े- वो क्या है कि आज मेरी घरवाली का हैपी बर्थडे है। मैंने वादा किया था आज उसे बाहर लेकर जाऊंगा। अगर आपकी इजाज़त मिल जाती तो...। सारा काम ख़तम करके जाऊंगा, प्रोमिस..।
इं. मिश्रा- तावड़े, देख नहीं रहे यहां अभी अभी मर्डर हुआ है और तुम्हे जल्दी जाना है?

तावड़े जमीन की तरफ देखने लगता है। तो इंस्पेक्टर मिश्रा हंसने लगते है। तावड़े उनकी ओर देखने लगा, फिर पता चला सर तो मजाक कर रहे होंगे।
इं. मिश्रा- अरे! पहले बताना चाहिए ना तावड़े। भाभीजी को बुरा लगेगा नहीं गए तो। अभी पौने नौ होने को है। जल्दी जाओ वरना खैर नहीं तुम्हारी। वैसे... कहां ले जाने वाले हो?
तावड़े शरमता हुआ कहता है- अभी तो थोड़ा लेट हो गया है तो उसे यही बुलवा लिया है। यही आसपास कोई रेस्टोरेंट में चले जाएंगे।
इं. मिश्रा उसके हाथ में कुछ पैसे देते है और कहते है- अच्छी वाली रेस्टोरेंट में ले जाना। आज की ट्रीट इस देवर की तरफ से।
तावड़े पैसे लेने से मना करता है पर इंस्पेक्टर मिश्रा उसे भाभीजी की कसम देकर चुप करा देते है।

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इंस्पेक्टर मिश्रा का पूरा नाम है बलराम मांगीलाल मिश्रा। मूल रूप से बिहार के एक छोटे से गांव के रहने वाले है। घर मे माता पिता के अलावा और कोई नही है। वे लोग वही गांव में ही रहते है। इं. मिश्रा की पोस्टिंग दो साल से मुंबई में विले पार्ले ईस्ट में थाना इंचार्ज के रूप में हुई है। कुंवारे है तो यहां पर वह अकेले ही रहते है। घर के पास ही होटल में खाना खा लेते है। कभी जल्दी घर आ गए तो अपना खाना खुद बनाने का शौक रखते है। उनकी माताजी हमेशा शादी के लिए जोर देती रहती है पर इन्हें कोई लड़की अबतक पसंद ही नहीं आई।
तावड़े मिश्रा जी की परछाई बन गया है दो सालो मे। दोनों लगभग हमउम्र ही है।

तावड़े दूसरे कांस्टेबल को सब एविडेंस कलेक्ट करके ले जाने के लिए कहकर अपनी पत्नी को दिए हुए पते पर पहुंच जाता है।

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तावड़े ने अपनी पत्नी आरती को फोन करके वही नज़दीक के रेस्टोरेंट का एड्रेस दे दिया था। पत्नी के पहुंचते ही दोनों एक रेस्टोरेंट में पहुंचे। बाहर खड़े वॉचमैन ने तावड़े की यूनिफॉर्म देखकर उसे सेल्यूट किया। उसकी बीबी को यह देखकर गर्व होता है। अपने पति को देश कि सेवा का मौका प्राप्त हुआ है। इन्हे देख सब लोग इनकी कितनी इज्जत करते हैै! गर्व से अपने पति के साथ रेस्टोरेंट में जाती है।

दोनों अंदर जाकर एक टेबल पर बैठ गए। बैरा आकर ऑर्डर ले गया। ऑर्डर आने के बाद दोनो खाना खाने लगते है। भूख के कारण तावड़े की हालत खराब हो गई थीं तो फटाफट खा रहा था। खाना खतम ही होनेवाला था कि रेस्टोरेंट में लाइट्स चली गई और उसी के साथ गोली चली और एक चीख निकली। गोली की आवाज़ से सब अपनी अपनी जगह पर टेबल के नीचे झुक गए। कुछ ही देर में लाइट्स भी आ गई।

तावड़े तुरंत आसपास देखने लगा की गोली किस को लगी है? गोली उसके पीछे की टेबल पर बैठे हुए एक अधेड़ उम्र के आदमी को लगी थी जो आपनी पत्नी के साथ डिनर पर आया था। उसकी पत्नी ने जब देखा के उसके पति को ही गोली लगी है तो वह रोने लग गई। तावड़े की पत्नी तुरंत ही उस महिला को संभालने लगी। वह भी रोते रोते बेहोश हो गई। तावड़े की बीवी ने बेहोश हुई महिला के मुंह पर पानी की कुछ बूंदे छिड़की। कुछ पल मे ही वह होश में आ गई और अपने पति को देखकर फिर रोने लगी।

तावड़े ने रेस्टोरेंट के दरवाजे बंद करवा दिए और सभी को अपनी अपनी जगह से हिलने से भी मना कर दिया। उसकी यूनिफॉर्म देखकर सब उसकी बात मान रहे थे। तावड़े इंस्पेक्टर मिश्रा को फोन करके सब वाक्या बया करने लगा। उसने थाने पर भी फोन करके कुछ हवलदारों को बुला लिया।
इं. मिश्रा अभी अभी अपने घर पहुंचा ही था। वह उल्टे पांव वापस वारदात की जगह जाने के लिए निकल गया।

इं. मिश्रा वारदात की जगह पहुंचकर सीधे अंदर चले गए। इं. मिश्रा ने फोरेंसिक एक्सपर्ट डॉ. त्रिपाठी को फोन कर के बुला लिया था।
इं. मिश्रा तावडे के पास जाकर पूछते है- तावड़े, तुम्हारे होते हुए ये सब कैसे हुआ?
तावड़े- अरे! सर, भूख जोरो की लगी थी। सामने बीवी बैठी थी तो मेरी हिम्मत कहां थी उसे छोड़ किसी और को देखने की?
तावड़े की पत्नी आरती उसे खा जानेवाली नजर से देखती है।
तावड़े उसकी पत्नी को कहता है- सॉरी सॉरी बाबा। अब देखो डिनर लगभग हो ही गया है। तुम टैक्सी कर के घर चली जाओ। मुजे आने मे शायद देर हो जाए।
तावड़े की पत्नी इन. मिश्रा को मिलकर घर चली जाती है। साथ साथ उन्हे घर आने के लिए भी कहती है।

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तावड़े इंस्पेक्टर मिश्रा की तरफ देखकर कहता है- सर! खूनी ने गोली अंधेरे मे चलाई। इसका मतलब वो उस अधेड़ शख्स के नज़दीक ही था।
इं. मिश्रा- हां लाश की हालत देखकर लगता तो है गोली यही बाई ओर से नज़दीक से ही चली है। और खास बात यह है के खूनी अकेला भी नहीं था।

तावड़े - सर! आपको कैसे पता?


क्रमशः
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